True Shayari, Kahi koyalaकहीं कोयला तो कहीं खदान बिक रहा हैगोल गुम्बद में हिंदुस्तान बिक रहा है.यूँ तो कागज गल जाता है पानी की एक बूँद सेचंद कागज़ के नोटों में मगर ईमान बिक रहा है.गुलामी का दौर चला गया कैसे कहें जनाबकहीं इंसानियत तो कहीं इंसान बिक रहा है.आज की नयी नस्लें होश में रहती कब हैं.कैंटीन में चाय के साथ नशे का सामान बिक रहा है.आधुनिकता और कितना नंगा करेगी हमको.बेटे के फ्लैट के लिए बाप का मकान बिक रहा हैसीता को जन्म देने वाली धरती को क्या हो गया.राम के देश में चाइना का हनुमान बिक रहा है.